कृषि विश्वविद्यालय की नई सौगात: हरे चारे के लिए उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन मक्का
कृषि विश्वविद्यालय की नई सौगात: हरे चारे के लिए उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन मक्का ,देश के किसानों की आय बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि वैज्ञानिक लगातार नए प्रयोग कर रहे हैं। इसी कड़ी में, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल ने एक ऐसी मक्का की नई किस्म विकसित की है जो देश के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
कृषि विश्वविद्यालय की नई सौगात: हरे चारे के लिए उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन मक्का
HQPM-28 नामक इस नई संकर किस्म को हरे चारे के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म न केवल अधिक पैदावार देती है बल्कि पोषण से भी भरपूर है। इस किस्म को फसल मानकों और कृषि फसलों की किस्मों की रिहाई पर केन्द्रीय उपसमिति द्वारा भारत में खेती के लिए अनुमोदित किया गया है। यह किस्म विशेष रूप से उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
HQPM-28 की खासियतें:
अधिक पैदावार: यह किस्म सामान्य मक्का की किस्मों की तुलना में अधिक पैदावार देती है।
उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन: इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद है।
रोग प्रतिरोधी: यह किस्म मेडिस पत्ती झुलसा रोग के प्रतिरोधी और प्रमुख कीट फॉल आर्मी वर्म के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है।
उर्वरक के प्रति क्रियाशील: यह किस्म उर्वरकों का अधिकतम उपयोग करती है जिससे किसानों को कम खर्च में अधिक उत्पादन मिलता है।
सूखा प्रतिरोधी: यह किस्म सूखे के प्रतिरोधी है, जिससे किसानों को सूखे की स्थिति में भी अच्छा उत्पादन मिल सकता है।
किसानों के लिए फायदे:
आय में वृद्धि: अधिक पैदावार और उच्च गुणवत्ता वाले चारे के कारण किसानों की आय में वृद्धि होगी।
पशुओं का स्वास्थ्य सुधार: उच्च गुणवत्ता वाला चारा पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
खाद्य सुरक्षा: इस किस्म से उत्पादित चारा पशुओं के लिए एक संतुलित आहार प्रदान करेगा, जिससे दूध और मांस की गुणवत्ता में सुधार होगा।
पर्यावरण संरक्षण: यह किस्म कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे पानी के संरक्षण में मदद मिलती है।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई HQPM-28 मक्का की नई किस्म भारतीय कृषि के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। यह किस्म किसानों की आय बढ़ाने, पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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