हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में बनेंगे ड्रोन स्टेशन, कृषि और बागवानी को मिलेगी टेक्नोलॉजी की उड़ान हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में कृषि और बागवानी को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने घोषणा की है कि प्रदेश के तीन प्रमुख जिलों — शिमला, मंडी और कांगड़ा में ड्रोन स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य है किसानों को उन्नत तकनीक की मदद से बेहतर उत्पादन और संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित कराना।
हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में बनेंगे ड्रोन स्टेशन, कृषि और बागवानी को मिलेगी टेक्नोलॉजी की उड़ान

कहां बनेंगे ड्रोन स्टेशन
राज्य सरकार द्वारा चुने गए ये तीन जिले — शिमला, मंडी और कांगड़ा — न केवल हिमाचल के कृषि और बागवानी के हॉटस्पॉट हैं, बल्कि यहां की भौगोलिक स्थिति भी तकनीकी इनोवेशन के लिए उपयुक्त है।
- शिमला: सेब उत्पादन के लिए प्रसिद्ध, बागवानी तकनीक में नवाचार के लिए आदर्श स्थान।
- मंडी: विविध कृषि फसलों का केंद्र, जहां ड्रोन द्वारा फसल प्रबंधन आसान होगा।
- कांगड़ा: चाय और अन्य बागवानी फसलों के लिए उपयुक्त, ड्रोन से निगरानी में सुधार होगा।
ड्रोन तकनीक का मुख्य उद्देश्य क्या होगा
ड्रोन स्टेशनों की स्थापना से निम्नलिखित क्षेत्रों में मदद मिलेगी:
- फसल सर्वेक्षण – खेतों की स्थिति, फसलों की वृद्धि और रोगों की पहचान।
- कीटनाशकों का छिड़काव – सटीक और समान रूप से दवाओं का छिड़काव।
- सिंचाई निगरानी – जल प्रबंधन में ड्रोन की मदद से पानी की आवश्यकता का आकलन।
- फसल कटाई की निगरानी – उपज की स्थिति और अनुमान।
- भूस्खलन या जलवायु आपदा पूर्व चेतावनी – प्राकृतिक आपदाओं के पहले संकेत।
किसानों को कैसे मिलेगा लाभ
ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल से किसानों को सीधे कई फायदे होंगे:
- उत्पादन में वृद्धि: तकनीकी निगरानी से कीटों और बीमारियों पर नियंत्रण।
- लागत में कटौती: कम समय में अधिक काम, मशीनों पर निर्भरता कम।
- सटीक जानकारी: मिट्टी की उर्वरता, नमी और पोषक तत्वों की जानकारी।
- समय की बचत: खेतों का निरीक्षण और कार्य अब ड्रोन से कुछ मिनटों में।
सरकारी एजेंसियों की भूमिका
इस परियोजना को हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के सहयोग से चलाया जाएगा। इसके अंतर्गत:
- किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
- ड्रोन ऑपरेशन सर्टिफिकेशन करवाया जाएगा।
- प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार की ओर से अनुदान भी मिल सकता है।
ड्रोन संचालन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
हिमाचल में ड्रोन तकनीक का उपयोग तभी सफल होगा जब स्थानीय युवाओं को इसकी प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी जाए। इसके लिए:
- प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
- ट्रेंड पायलट्स को प्रमाणपत्र दिए जाएंगे।
- स्थानीय रोजगार के अवसर भी खुलेंगे।
परियोजना का भविष्य और विस्तार
प्रारंभिक चरण में तीन जिलों से शुरुआत के बाद यह योजना अन्य जिलों में भी लागू की जाएगी। आने वाले वर्षों में:
- हर ब्लॉक स्तर पर ड्रोन स्टेशन खोलने का प्रस्ताव।
- बागवानी फसलों के अलावा अन्य फसलों में भी ड्रोन उपयोग।
- ई-कृषि डेटा बैंक का निर्माण जिससे पूरी कृषि प्रक्रिया ट्रैक हो सके।
सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया
राज्य के कृषि मंत्री ने कहा:
“ड्रोन तकनीक भविष्य की आवश्यकता है और हिमाचल के किसान इस तकनीक को अपनाकर देशभर में मिसाल कायम कर सकते हैं। सरकार का लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाना और खेती को स्मार्ट बनाना है।”
ड्रोन तकनीक को हिमाचल की खेती और बागवानी से जोड़ना एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल खेती वैज्ञानिक होगी, बल्कि युवाओं को नौकरी और उद्यमिता के नए रास्ते भी मिलेंगे। यह योजना आने वाले वर्षों में हिमाचल प्रदेश को स्मार्ट एग्रीकल्चर मॉडल के रूप में देश के सामने प्रस्तुत कर सकती है।