MP UJJAIN NEWS 2024 : उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ एक बार खुलता है, जानें कारण !

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MP UJJAIN NEWS 2024 : उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ एक बार खुलता है, जानें कारण !

MP UJJAIN NEWS 2024 : उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ एक बार खुलता है, जानें कारण !

MP UJJAIN NEWS 2024 : उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ एक बार खुलता है, जानें कारण !आज के श्रृंगार की विशेषता यह रही कि नागपंचमी के अवसर पर बाबा महाकाल का सर्पों से श्रृंगार किया गया। उन्हे फूलों की माला से सजाया गया। श्रृंगार के दौरान उनके मस्तक पर भी सर्प पहनाया गया।

MP UJJAIN NEWS 2024 : उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ एक बार खुलता है, जानें कारण !

MP UJJAIN NEWS 2024 विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बाबा महाकाल अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए रात 3 बजे जागे। वीरभद्र और मानभद्र से आज्ञा लेकर सबसे पहले चांदी द्वार को खोला गया और उसके बाद घंटी बजाकर भगवान तक सूचना पहुंचाई गई कि पुजारी और अन्य लोग आपको जगाने के लिए मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं।

गर्भग्रह में सबसे पहले भगवान का जलाभिषेक और पूजन दर्शन कर उनका श्रृंगार किया गया, फिर भस्म आरती की गई। मंदिर में जैसे ही भगवान के दर्शन शुरू हुए वैसे ही चारों ओर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गई।

MP UJJAIN NEWS 2024 सर्पों से किया गया बाबा का श्रृंगार

MP UJJAIN NEWS 2024 महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरु ने बताया कि श्रावण मास के शुक्रवार और शुक्ल पक्ष की पंचमी पर आज सुबह 3 बजे भगवान वीरभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। जिसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान और पंचामृत स्नान करवाने के बाद केसर युक्त जल अर्पित किया गया।

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MP UJJAIN NEWS 2024 आज शुक्रवार के श्रृंगार की विशेषता यह रही कि नागपंचमी के अवसर पर बाबा महाकाल का सर्पों से श्रृंगार किया गया। उन्हे फूलों की माला से सजाया गया। श्रृंगार के दौरान उनके मस्तक पर भी सर्प पहनाया गया। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित की गई। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गया।

MP UJJAIN NEWS 2024 नागों का है विशेष महत्व

MP UJJAIN NEWS 2024 हिंदू धर्म में नागों की पूजा का महत्व सदियों पुराना है। कई लोग नागों को भगवान का आभूषण मानने हैं, देश में नागों के कई मशहूर मंदिर भी हैं। उन्हीं में से एक है उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे वर्ष में केवल एक दिन, नागपंचमी के अवसर पर दर्शन के लिए खोला जाता है।

MP UJJAIN NEWS 2024 माना जाता है कि नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में विराजमान हैं। इसी कारण, मंदिर को केवल नागपंचमी के दिन ही खोला जाता है और नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक प्राचीन प्रतिमा है, जिसे नेपाल से लाया गया था। इस प्रतिमा में भगवान शिव अपने परिवार के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजमान हैं, जो इस मंदिर को और भी विशेष बनाती है।

MP UJJAIN NEWS 2024 भगवान शंकर को प्रसन्न करने सर्पराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी

MP UJJAIN NEWS 2024 वरिष्ठ ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास बताते हैं कि नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु की जगह भगवान शंकर सांपों के शय्या पर विराजमान हैं। इस अद्वितीय प्रतिमा को लेकर कहा जाता है कि ऐसी प्रतिमा और कहीं नहीं है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सर्पराज तक्षक ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप उन्हें अमरत्व का वरदान मिला।

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MP UJJAIN NEWS 2024 उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन, उनके एकांतवास में विघ्न न हो इसलिए, उनके मंदिर को साल में एक बार खोले जाने की मान्यता है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास कराया था। इसके बाद, सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था, जिसमें इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार शामिल था।

MP UJJAIN NEWS 2024 दर्शन मात्र से समाप्त हो जाता है कालसर्प दोष

MP UJJAIN NEWS 2024 मान्यता है कि अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष हो और वह इस मंदिर के दर्शन करता है तो केवल दर्शन मात्र से उसके दोष समाप्त हो जाते हैं। इसलिए, नागपंचमी के दिन यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिवार्णी अखाड़ा के संन्यासियों द्वारा की जाती है। अखाड़े के महंत विनीत गिरि महाराज के अनुसार इस मंदिर की पूजा विधिवत रूप से की जाती है।

MP UJJAIN NEWS 2024 यहां भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। कहा जाता है कि दुनिया में इस तरह की प्रतिमा और कहीं नहीं हैं। महाकाल मंदिर के शिखर में विराजित दुर्लभ प्रतिमा के साथ इसी तल पर पिंडी स्वरूप शिवलिंग भी है, जिसे सिद्धेश्वर कहा जाता है। मंदिर में नागपंचमी के दिन दोनों ही स्वरूप में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।

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