Thursday, November 30, 2023
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Dev Uthani Ekadashi 2023:कब है देवउठनी एकादशी,पूजा का शुभ मूहूर्त और पूजन विधि

Dev Uthani Ekadashi 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, हर माह के दोनों पक्षों की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी कहते हैं और इसका सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को भगवान विष्णु चार माह के विश्राम के बाद जागते हैं इसलिए इसे देव उठनी एकादशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का खास विधान होता है. आइए जानते हैं देव उठनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत के नियम.

Dev Uthani Ekadashi 2023:कब है देवउठनी एकादशी,पूजा का शुभ मूहूर्त और पूजन विधि

Dev Uthani Ekadashi 2023 तिथि?

इस साल 23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु 5 माह की निद्रा के बाद जागेंगे। इसके बाद से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी पर ही रात में शालिग्राम जी और तुलसी माता का विवाह होता है।

एकादशी की तिथि 22 नवंबर को रात 11 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 23 नवंबर को रात 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगी. देवउठनी एकादशी का व्रत 23 नवंबर, गुरुवार को रखा जाएगा. व्रत के पारण का समय 24 नवंबर को सुबह 6 बजे से सुबह 8 बजकर 13 मिनट तक है.  

Dev Uthani Ekadashi 2023 मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ – 22 नवंबर 2023, रात 11.03
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का समापन – 23 नवंबर 2023, रात 09.01
पूजा का समय- सुबह 06.50 से सुबह 08.09
रात्रि पूजा का मुहूर्त- शाम 05.25 से रात 08.46
व्रत पारण समय- सुबह 06.51 से सुबह 08.57 (24 नवंबर 2023)

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Dev Uthani Ekadashi 2023 पूजा विधि

देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लें।
श्री हरि विष्णु की प्रतिमा के समक्ष उनके जागने का आह्वान करें।
सायं काल में पूजा स्थल पर घी के 11 दीये देवी-देवताओं के समक्ष जलाएं।
यदि संभव हो पाए तो गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति रखें।
भगवान हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, जैसे मौसमी फल अर्पित करें।
एकादशी की रात एक घी का दीपक जलाएं।
अगले दिन हरि वासर समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करें।

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