Freedom Fighters Slogan: देश की आजादी के लिए लाखों स्वाधीनता सेनानियों ने अपना बलिदान दे दिया.स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को हम आजादी का महोत्सव मनाते हैं और उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करते हैं.
आजादी के वो मशहूर नारे

जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपने प्राणों की बलि दे दी. साथ ही अपने जोशीले नारों और अपने कहे वाक्यों से लोगों में देशभक्ति की भावना जगाई.तो आइये स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जानते हैं महान क्रांतिकारियों के दिए उन नारों के विषय में (Freedom fighters slogan) जो इतिहास के पन्नों में आज भी सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं.
स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति आजादी के वो मशहूर नारे,

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने लोगों में देश भक्ति की भावना जगाने के लिए कई नारे दिए. इनमें अपनी सेना आज़ाद हिंद फौज के लिए एक प्रसिद्ध नारा दिया था. ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, इस नारे का असर सेना के साथ-साथ देशवासियों पर भी खूब हुआ था.
‘सत्यमेव जयते’ को राष्ट्रपटल पर लाने और उसका प्रचार करने में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजादी के आंदोलन में खास रोल निभाने वाले मदन मोहन मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका रही.’सत्यमेव जयते’ भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है, जिसका अर्थ है सत्य ही जीतता है.
‘जय जवान-जय किसान’ यह नारा 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था. जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है और आज भी इसको लोग जोश के साथ दोहराते हैं.
लोकतंत्र में आजादी की क्या सीमा निर्धारित होनी चाहिए, इसको लेकर आज भी बहस जारी है. महात्मा गांधी ने कहा था ‘ऐसी आजादी का कोई मतलब नहीं, जिसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हो’.
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सेनानियों ने जगा दी थी देशभक्ति की भावना
‘जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती है, दूसरों के कंधो पर तो जनाजे उठाये जाते हैं’ आजादी की खातिर अपनी जान कुर्बान करने वाले भगत सिंह ने इस बात से देशवासियों में जोश और जज्बा भर दिया था.’सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है’ क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने ये शेर फांसी के फंदे पर झूलने के कुछ मिनट पहले कहा था. ये शेर क्रांतिकारी बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखित देशभक्तिपूर्ण गज़ल का हिस्सा है, जिसे लोग आज भी जोश के साथ गुनगुनाते हैं.’पूर्ण स्वराज’ ये नारा देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था. कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 31 दिसंबर 1929 को जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी.