GRAPES FARMING 2024 : अंगूर की खेती किसानों को बना देगी मालामाल, जाने कैसे बढ़ाएं उत्पादन !
GRAPES FARMING 2024 : अंगूर की खेती किसानों को बना देगी मालामाल, जाने कैसे बढ़ाएं उत्पादन ! अंगूर पुरे विश्व में उगाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण फल की फसल है। ज्यादातर इसका उत्पादन शराब और किशमिश तैयार करने के लिए किया जाता है। पुरे भारत में यदि अंगूर का कुल क्षेत्रफल देखा जाये तो यह लगभग 40,000 हेक्टेयर है। यह कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन बी जैसे खनिजों का काफी अच्छा स्रोत हैं। अंगूर की खेती किसानों के लिए सबसे मुनाफेदार फसल होती है। अगर आप भी अंगूर खेती से अधिक और अच्छा लाभ पाना चाहते हैं, तो इसकी संपूर्ण जानकारी के लिए पढ़िए इस लेख को पूरा।
GRAPES FARMING 2024 : अंगूर की खेती किसानों को बना देगी मालामाल, जाने कैसे बढ़ाएं उत्पादन !
GRAPES FARMING 2024 अंगूर की खेती कैसी जलवायु में होती है
GRAPES FARMING 2024 अंगूर के विकास और फलने की अवधि के दौरान गर्म और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली समृद्ध दोमट मृदा उपयुक्त होती है साथ ही मृदा का पीएच मान 6.5 – 7.0 के बीच उचित माना जाता है।
GRAPES FARMING 2024 अंगूर की खेती के लिए कैसे करें तैयारी
GRAPES FARMING 2024 अंगूर की खेती के लिए, अच्छी तरह से तैयार भूमि की आवश्यकता होती है। मिट्टी पलटने वाले हल से 3 – 4 गहरी जुताई करें।
GRAPES FARMING 2024 अंगूर की खेती के लिए उन्नत किस्में
GRAPES FARMING 2024 बीज वाली किस्में – कार्डिनल, कॉनकॉर्ड सम्राट, इटालिया, अनाब-ए-शाही, चीमा साहेबी, कालीसाहेबी, राव साहेबी, आदि जिमसें बीज पाया जाता है। बीजरहित किस्में – थॉम्पसन सीडलेस, फ्लेम सीडलेस, किश्मिश चोर्नी, परलेट, अर्कावती आदि हैं। वे किस्में जिनसे किसमिश तैयार की जाती है – थॉम्पसन सीडलेस, माणिक चमन, सोनाका, ब्लैक कोरिंथ, ब्लैक मोनुक्का, अर्कावती, दत्तियर आदि हैं।
GRAPES FARMING 2024 कितनी दूरी पर लगाएं अंगूर के पौधें
GRAPES FARMING 2024 अंगूर के लिए रोपण दुरी जैविक खेती के तहत 2.5 मीटर x 1.5 मीटर, 2.75 मीटर x 1.50 मीटर और 3.0 मीटर x 1.5 मीटर का अनुसरण किया जाता है। अंगूर को बीज, कटिंग, लेयरिंग, बडिंग और ग्राफ्टिंग द्वारा प्रचारित किया जाता है। इसकी कटिंग को IBA के घोल से उपचारित किया जाता है।
GRAPES FARMING 2024 अंगूर का कीटों से कैसे बचाव करें
GRAPES FARMING 2024 देश के सबसे बड़े अंगूर उत्पादकों में शुमार महाराष्ट्र के किसान पिछले चार साल से फसल पर कीटों के अटैक और बेमौसम बारिश से परेशान हैं. अंगूर उत्पादकों के संघ ने बागों को नुकसान से बचाने के लिए अंगूर पर काम करने वाले राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के साथ एक समझौता किया है.महाराष्ट्र में जलवायु परिवर्तन और प्रकृति की बेरुखी के कारण पिछले चार साल से अंगूर के बागों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है.
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अंगूर के बागों पर कीटों का अटैक किसानों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है. बताया गया है कि ऐसा मौसम की फेरबदल से हो रहा है. बाज़ारों में सही दाम न मिलने से अंगूर की खेती में घाटा देखते हुए नासिक और सांगली जिले के किसान अब फसल प्रणाली को बदलने के लिए सोच रहे हैं. वहीं अंगूर उत्पादक संघ ने अंगूर की खेती में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए बड़ा फैसला लिया है.
GRAPES FARMING 2024 इस टीम ने अब अंगूर के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के साथ एक समझौता किया है. जिसमें दावा किया जा रहा है कि इससे किसानों की समस्याओं का समाधान होगा और हर साल होने वाले नुकसान में कमी आएगी. यह फैसला राज्य अंगूर उत्पादक संघ के अध्यक्ष शिवाजी पवार ने एक बैठक में लिया है. उन्होंने बताया कि नई शोध समिति में प्रख्यात वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है. इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय का भी सहयोग मिलेगा.
GRAPES FARMING 2024 अंगूर पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव होता है
GRAPES FARMING 2024 किसानों का कहना है कि पिछले 4 साल में अंगूर उत्पादन से लाभ की तो बात छोड़ दें, उलटा हम किसानों का घाटा बढ़ता ही जा रहा है. इस साल, जब अंगूर की फसल अपने अंतिम चरण में थी,तब बेमौसम बारिश ने उन्हें खराब कर दिया. पिछले साल भी बेमौसम बारिश से बागों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था. इसके अलावा इस साल सभी बागों का उत्पादन घटा है.
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GRAPES FARMING 2024 बादल छाए रहने और लगातार बारिश के कारण अंगूर का उत्पादन आधे से ज्यादा कम हो गया है.वहीं अब बागबानी संघ ने अनुसंधान संस्थान के साथ समझौता किया है ऐसे में देखना होगा कि इसका असर कैसा होता है.और अंगूर उत्पादकों कितना फायदा होगा. बता दें कि महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक प्रदेश है. यहां से बड़े पैमाने पर दूसरे देशों को अंगूर एक्सपोर्ट भी किया जाता है.
GRAPES FARMING 2024 क्या है अंगूर की खेती की उन्नत तकनीक
GRAPES FARMING 2024 संगठन अंगूर पर कीट-रोग और इससे निपटने के तरीके पर शोध करने जा रहा है. इस संस्था को राज्य के कृषि विश्वविद्यालय का सहयोग प्राप्त होगा. इन सभी के सहयोग से जो तकनीक बनेगी उसे खेतों में लाया जाएगा. टीम ने यह फैसला इस मकसद से लिया है कि शोध का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे. इन संस्थानों को विश्वविद्यालयों के माध्यम से किए गए शोध से भी फायदा होगा. कुल मिलाकर किसानों को होने वाले नुकसान से बचाकर उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा.