MP News:MP में बना 250 किमी का ग्रीन कॉरीडोर, इन जिलों के बीच हुआ निर्माण MP News : मध्य प्रदेश में पहली बार 250 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है, जो राज्य की पर्यावरणीय संवेदनशीलता और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह परियोजना प्रदेश में आधुनिक परिवहन प्रणाली के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत उदाहरण पेश करेगी।
Madhya Pradesh News: यूनियन कार्बाइड का कचरा शिफ्ट करने के लिए बनाया गया 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर
मध्य प्रदेश में पर्यावरण और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 250 किमी लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है। यह ग्रीन कॉरिडोर यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के मलबे और कचरे को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित करने के लिए पहली बार बनाया जा रहा है। यह कदम न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े अवशेषों को भी जिम्मेदारीपूर्वक नष्ट करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
MP News:MP में बना 250 किमी का ग्रीन कॉरीडोर, इन जिलों के बीच हुआ निर्माण
ग्रीन कॉरिडोर: क्या है
ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण भोपाल से धार के पीथमपुर तक किया गया है। इसके जरिए यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकलने वाले कचरे को सुरक्षित और तेजी से स्थानांतरित किया जाएगा।
- लंबाई: 250 किमी
- उद्देश्य: कचरे को सुरक्षित रूप से शिफ्ट करना और इसे वैज्ञानिक विधि से नष्ट करना।
- गंतव्य: पीथमपुर, धार (जहां इस कचरे को जलाकर नष्ट किया जाएगा)।
भोपाल गैस त्रासदी: एक झलक
1984 में भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसने हजारों लोगों की जान ले ली और लाखों की जिंदगी पर गहरा असर डाला। इस त्रासदी का अवशेष अब भी पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है।
कचरे का निपटारा
भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकलने वाले इस कचरे को पैक करके विशेष ट्रकों के माध्यम से पीथमपुर ले जाया जा रहा है। वहां इसे उच्च तापमान वाली भट्टियों में जलाकर पूरी तरह नष्ट किया जाएगा। यह प्रक्रिया पर्यावरण को किसी भी तरह की क्षति पहुंचाए बिना की जाएगी।
ग्रीन कॉरिडोर क्यों जरूरी है
- सुरक्षा: यह सुनिश्चित करता है कि कचरे को स्थानांतरित करते समय किसी भी प्रकार का रिसाव या दुर्घटना न हो।
- पर्यावरण संरक्षण: ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से मलबे का सुरक्षित निपटारा पर्यावरण को बचाने में मदद करेगा।
- समय की बचत: ग्रीन कॉरिडोर से ट्रांसपोर्टेशन में लगने वाला समय कम हो जाएगा।
सरकार की पहल
मध्य प्रदेश सरकार और संबंधित विभाग इस प्रक्रिया को सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए पूरी तैयारी में हैं। ग्रीन कॉरिडोर पर पुलिस और पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम को भी तैनात किया गया है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- कचरे की पैकेजिंग: कचरा पैक कर विशेष ट्रकों में शिफ्ट किया जा रहा है।
- धार की भट्टियां: पीथमपुर में स्थापित उच्च तापमान वाली भट्टियों में इस कचरे को जलाया जाएगा।
- पर्यावरणीय सुरक्षा: इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का प्रदूषण न हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया है।
परिणाम और भविष्य
यह कदम न केवल भोपाल और पीथमपुर के पर्यावरण को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि यह देश के लिए एक मिसाल भी बनेगा कि कैसे पुराने औद्योगिक कचरे का निपटारा वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश में यह ग्रीन कॉरिडोर परियोजना राज्य के पर्यावरणीय प्रयासों और औद्योगिक जिम्मेदारियों की दिशा में एक सराहनीय पहल है। इस ग्रीन कॉरिडोर से भोपाल गैस त्रासदी के जख्मों को भरने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया गया है।