हीराबेन :एक बच्चे के लिए उसकी मां का क्या महत्व होता है यह एक बच्चा ही जानता है. एक बच्चा को सिर्फ माझा नाम ही नहीं रहती है बल्कि उनके कई तरह के सपनों को साकार करने में भी मां का बहुत ही ज्यादा हाथ होता है.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां प्रधानमंत्री बनाने के लिए उनकी मां ने कई सारे त्याग किए. कई बार ऐसे समय आया जब गरीबी के कारण उनका परिवार टूट रहा था लेकिन उनकी मां ने हाथ नहीं माना और अपने बच्चों को हमेशा साहस दिया.

मोदी को मोदी बनाने में बहुत ही अहम है माँ हीराबेन का योगदान, टपकते पानी तक का इस्तेमाल कर लेतीं थीं हीराबेन
वैसे तो उनकी मां का निधन बीते 30 दिसंबर को हो गया और बहुत ही नम आंखों से प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मां को आखिरी विदाई दिया. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां के बारे में कुछ ऐसी बातें बताएं जिसको जानने के बाद हर कोई कहता है कि वाकई माँ ही एक बच्चे के लिए ऐसा कर सकती है.
- समय की पक्की और मेहनतीः सुबह 4 बजे उठतीं, सारा काम खुद करतीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता सुबह 4:00 बजे उठ जाते थे और उसने ही दुकान के लिए निकल जाते थे. प्रधानमंत्री मोदी की मां भी उनके पिता के साथ ही सुबह उठते थे.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां समय की बहुत ही ज्यादा पाबंद थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां सुबह उठते ही सभी काम निपटा लेती थी. आपको बता दें कि वह उस समय चावल पिसती थी और कई तरह के काम खुद से ही करती थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां कहती थी कि हमेशा इमानदारी से जिंदगी जिए. कम पैसे हो लेकिन ईमानदारी कभी भी ना छोड़े.
- विपरीत परिस्थितियों में सहनशील: टपकते पानी तक का इस्तेमाल कर लेतीं थीं
घर का खर्च चलाने के लिए मां कुछ घरों में बर्तन मांजती थीं। अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा चलातीं, सूत काततीं। मां दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं। मानसून हमारे मिट्टी के घर के लिए मुसीबत बनकर आता था।

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बरसात के दिनों में हमारी छत टपकती थी और घर में पानी भर जाता था। मां बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए लीकेज के नीचे बर्तन रख देती थीं। इस विपरीत परिस्थिति में भी मां सहनशीलता की प्रतीक थीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह अगले कुछ दिनों तक इस पानी का इस्तेमाल करतीं। जल संरक्षण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है!
- साफ-सफाई की पक्की पैरोकार: 100 साल की उम्र में भी कुछ खिलाने के बाद मोदी का मुंह पोछतीं थीं प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले जन्मदिन पर नरेंद्र मोदी मां से मिलने पहुंचे थे। तस्वीर 17 सितंबर 2014 की है।
मां इस बात का खास ख्याल रखती थीं कि बिस्तर साफ और ठीक से बिछा हुआ हो। वह बिस्तर पर धूल का एक कण भी बर्दाश्त नहीं करती थीं। हल्की सी सिलवट का मतलब था कि चादर को झाड़ा जाएगा और फिर से बिछाया जाएगा। इस आदत को लेकर भी हम सभी काफी सावधान थे।
मैं जब भी उनसे मिलने गांधीनगर जाता हूं तो वह मुझे अपने हाथों से मिठाई खिलाती हैं और एक छोटे बच्चे की दुलारी मां की तरह, वह एक रुमाल निकालती हैं और मेरे खाना खत्म करने के बाद मेरे चेहरे को पोंछ देती हैं। वह हमेशा अपनी साड़ी में एक रुमाल या छोटा तौलिया लपेट कर रखती हैं।

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- ईमानदार-अर्थशास्त्रीः 5 हो या 1 रुपए, परिवार चलाना जानती थीं
जब हमारा बड़ा भाई किसी की दी हुई कोई चीज बाहर से लेकर आता तो मां उसे फटकार लगाते हुए वह चीज लौटाने के लिए भेज देती थीं। मां में ईमानदारी के गुण थे, जो उन्होंने अपने बच्चों को दिए। मां हीराबा का अर्थशास्त्र भी मजबूत था। खर्च के लिए पांच हों या एक रुपए, वे जानती थीं कि घर का खर्च कैसे चलाना है। पैसे कम हों तो भी ठीक, अगर ज्यादा हों तो वे पैसे न होने की स्थिति के लिए भी पहले से तैयारी कर लेती थीं। पैसे न होने की स्थिति में भी वे किसी न किसी तरह परिवार चला लेती थीं।