शिमला मिर्च की खेती : आज के समय में शिमला मिर्च की खेती बहुत ही बड़े पैमाने पर की जा रही है और शिमला मिर्च बहुत बड़े पैमाने पर हमारे देश में खाया जाता है. शिमला मिर्च को लोग खूब पसंद करते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि शिमला मिर्च के खाने से लोगों को काफी ज्यादा राहत मिलती है और लोग कई तरह की बीमारियों से दूर होते हैं.
आज के टाइम में शिमला मिर्च की मांग काफी ज्यादा बढ़ती जा रही है. पहले से विदेशों में शिमला मिर्च की मांग थी लेकिन अब देश में भी शिमला मिर्च की मांग बढ़ती जा रही है.

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बाजार में भी लाल, पीली, बैंगनी, नारंगी और हरी रंग की शिमला मिर्च खूब देखने को मिलती हैं। शिमला मिर्च को इंग्लिश में कैप्सिकमऔर बेल पेपर के नामों से जाना जाता है।
तो आइए अब बात करते हैं शिमला मिर्च की खेती आखिर कैसे किया जा सकता है-
शिमला मिर्च के लिए जरूरी जलवायु
शिमला मिर्च के बीज के अंकुरण के लिए 16-29 डिग्री सेल्सियस, पौधे की अच्छी बढ़त के लिए 21-27 डिग्री सेल्सियस और फलों के उचित विकास और परिपक्वता के लिए 32 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान होना चाहिए।

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शिमला मिर्च के लिए उपयुक्त मिट्टी
शिमला मिर्च की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है। जिसमें कार्बनिक पदार्थ अच्छी मात्रा में मौजूद हो और जल निकासी भी बेहतर हो। वहां शिमला की खेती से अच्छा उपज लिया जा सकता है।
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शिमला मिर्च की खेती का समय
शिमला मिर्च की खेती साल में 3 बार की जा सकती है। इसकी पहली बुआई जून से जुलाई तक, दूसरी बुआई अगस्त से सितंबर और तीसरी बुआई नवंबर से दिसंबर की जा सकती है। इसके बीज बोने के बाद, उससे निकलने वाले पौधे की रोपाई की जाती है। जिसका अच्छा समय जुलाई से अगस्त, सितंबर से अक्टूबर और दिसंबर से जनवरी होता है।
हमारे देश में मौसम के अनुसार शिमला मिर्च की खेती वर्ष में 3 बार की जा सकती है।
सितंबर-अक्टूबर में तुड़ाई के लिए
नर्सरी में बीज को जून-जुलाई में लगाना चाहिए।
मुख्य खेत में जुलाई-अगस्त में पौधों की रोपाई करें।
नवंबर-दिसंबर में तुड़ाई के लिए
नर्सरी में बीज की बुवाई अगस्त से सितंबर में करें।
मुख्य खेत में पौधों की रोपाई सितंबर-अक्टूबर में की जाती है।
फरवरी-मार्च में तुड़ाई के लिए
नर्सरी में बीज की बुवाई के लिए नवंबर-दिसंबर महीने में करें।
मुख्य खेत में पौधों की रोपाई दिसंबर से जनवरी महीने में करें।
खेती की तैयारी कैसे करें?
शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई से पहले खेत को अच्छे से 5-6 बार जुताई करें।
जुताई के पहले खेत में गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला लें।
उसके बाद खेत में 90 सेमी चौड़ी क्यारियां बना लें।
इसके एक पौधे की रोपाई, दूसरे पौधे से लगभग 45 सेमी की दूरी पर करें।
एक क्यारी में पौधों की केवल दो कतारें ही लगाएं।
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
शिमला मिर्च की खेत तैयार करते समय उसमें लगभग 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद को मिला लें। उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से एक बार जरूर सलाह ले लें।
सिंचाई की बात करें तो शिमला मिर्च की फसल को ज्यादा और कम पानी दोनों से नुकसान हो सकता है। इसलिए यदि मिट्टी में नमी कम हो तो उसकी तुरंत सिंचाई और पानी का भराव ज्यादा होने पर उसके निकास की व्यवस्था भी तुरंत करनी चाहिए। शिमला मिर्च की फसल की सिंचाई आमतौर पर गर्मी के दिनों में एक सप्ताह और शीत के दिनों में 10 से 15 दिनों में करनी चाहिए।
शिमला मिर्च की उन्नत किस्में
शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों में- येलो वण्डर, कैलिर्फोनिया वण्डर, बुलनोज, अर्का मोहिनी, किंग आफ नार्थ, स्वीट बनाना, रूबी किंग, अर्का गौरव और पैपरीका की के.टी.पी.एल.-19 आदि को ज्यादा प्रचलित माना जाता है।