SPLEEN FARMING 2024 : तिल की खेती से होगी अब लाखों की कमाई, जाने कीटों से बचाव ! तिल की खेती में राजस्थान नंबर है, लेकिन महाराष्ट्र भी कम नहीं है. तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है. इसलिए इसकी मांग बढ़ रही है. महाराष्ट्र (Maharashtra) में खरीफ सीजन के दौरान इस फसल का रकबा 52,600 हेक्टेयर था, जिसमें से 18,900 टन का उत्पादन हुआ था.
SPLEEN FARMING 2024 : तिल की खेती से होगी अब लाखों की कमाई, जाने कीटों से बचाव !
उत्पादकता 360 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी. रबी सीजन के दौरान तिल (Sesame) की फसल 2900 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई गई और 800 टन उपज हुई. उत्पादकता 285 किग्रा प्रति हेक्टेयर थी. मध्य प्रदेश मे तिल की खेती खरीफ मौसम में 315 हजार हे. में की जाती है।प्रदेश मे तिल की औसत उत्पादकता 500 कि.ग्रा. /हेक्टेयर प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, सीधी, शहडोल, मुरैना, शिवपुरी सागर, दमोह, जबलपुर, मण्डला, पूर्वी निमाड़ एवं सिवनी जिलो में इसकी खेती होती है.
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि तिल की फसल दोहरी फसल प्रणाली के लिए उपयुक्त है क्योंकि यह 85-90 दिनों (छोटी अवधि) में आती है. तिल की खेती किसानों द्वारा अनुपजाऊ जमीन में की जाती है. हल्की रेतीली, दोमट मिट्टी तिल उत्पादन के लिए सही होती है. इसकी खेती अकेले या सह फसली के रूप में अरहर, मक्का एवं ज्वार के साथ की जा सकती है. इसकी खेती से किसान भाई-बहन अच्छी कमाई कर सकते हैं.
SPLEEN FARMING 2024 तिल की खेती के लिए कैसी भूमि उपयुक्त है
हल्की रेतीली, दोमट भूमि तिल की खेती हेतु उपयुक्त होती हैं। खेती हेतु भूमि का पी.एच. मान 5.5 से 7.5 होना चाहिए। भारी मिटटी में तिल को जल निकास की विशेष व्यवस्था के साथ उगाया जा सकता है। बलुई और दोमट मिट्टी में पर्याप्त नमी होने पर फसल अच्छी होती है. तिलहन की खेती में पानी की तो कम जरूरत पड़ती ही है साथ ही इससे पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध हो जाता है. इसलिए किसान इसकी खेती करना चाहते हैं.
SPLEEN FARMING 2024 कब की जाती है तिल की खेती
जुलाई महीने में किसानों (Farmers) के लिए तिल की खेती (Sesame Farming) करना फायदेमंद है. तिल की बोनी मुख्यतः खरीफ मौसम में की जाती है जिसकी बोनी जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के मध्य तक करनी चाहिये। ग्रीष्मकालीन तिल की बोनी जनवरी माह के दूसरे पखवाडे से लेकर फरवरी माह के दूसरे पखवाडे तक करना चाहिए ।
बीज को 2 ग्राम थायरम+1 ग्रा. कार्बेन्डाजिम , 2:1 में मिलाकर 3 ग्राम/कि.ग्रा. फफूंदनाशी के मिश्रण से बीजोपचार करें। बोनी कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. तथा कतारों में पौधो से पौधों की दूरी 10 से.मी. रखते हुये 3 से.मी. की गहराई पर करे ।
SPLEEN FARMING 2024 कैसे करें कीटों से बचाव
निबौंली 5 प्रतिशत घोल के लिये एक एकड़ फसल हेतु 10 किलो निंबौली को कूटकर 20 लीटर पानी में गला दे तथा 24 घंटे तक गला रहने दे। तत्पश्चात् निंबौली को कपड़े अथवा दोनों हाथों के बीच अच्छी तरह दबाऐं ताकि निंबौली का सारा रस घोल में चला जाय। अवषेश को खेत में फेंक दे तथा घोल में इतना पानी डालें कि घोल 200 लीटर हो जायें। इसमें लगभग 100 मिली. ईजी या अन्य तरल साबुन मिलाकर डंडे से चलाये ताकि उसमें झाग आ जाये।
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तत्पश्चात् छिड़काव करें। लीफ-रोलिंग लार्वा/पत्ती खाने वाले लार्वा के नियंत्रण के लिए क्विनोल्फोस 25% घोल 1000 मिली या फेनवेलरेट 20% घोल 250 मिली या 50% कार्बेरिल पाउडर 2 किलो प्रति 500 लीटर पानी में स्प्रे करें. मैनकोजेब 75% 1.25 किग्रा+ स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 50 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1.25 किग्रा+स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 50 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी में लीफ स्पॉट (अल्टरनेरिया / सरस्कोस्पोरा) और आणविक रोग के प्रकोप के मामले में स्प्रे करें.
SPLEEN FARMING 2024 कैसे करें कटाई
पौधो की फलियाँ पीली पडने लगे एवं पत्तियाँ झड़ना प्रारम्भ हो जाये तब कटाई करे। कटाई करने उपरान्त फसल के गट्ठे बाधकर खेत में अथवा खालिहान में खडे रखे। 8 से 10 दिन तक सुखाने के बाद लकड़ी के ड़न्डो से पीटकर तिरपाल पर झड़ाई करे। झडाई करने के बाद सूपा से फटक कर बीज को साफ करें तथा धूप में अच्छी तरह सूखा ले।
बीजों में जब 8 प्रतिशत नमी हो तब भंडार पात्रों में /भंडारगृहों में भंडारित करें। उपरोक्तानुसार बताई गई उन्नत तकनीक अपनाते हुऐ काष्त करने एवं उचित वर्षा होने पर असिंचित अवस्था में उगायी गयी फसल से 4 से 5 क्वि. तथा सिंचित अवस्था में 6 से 8 क्वि./है. तक उपज प्राप्त होती है.
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12 पंक्तियों के बाद भारी मिट्टी में (बीज को ढंकने से पहले) दो पंक्तियों में (विभाजित) बलिराम हल की सहायता से करें. इससे बारिश का पानी जमीन में समा जाएगा. यह अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने में भी मदद करेगा.
बारिश के मौसम में रुका हुआ पानी फसल को फायदा पहुंचाता है.जब 75% पत्तियाँ और तने पीले हो जाते हैं, तो इसे कटाई के लिए उपयुक्त माना जाता है. कटाई में लगभग 80 से 95 दिन लगते हैं. जल्दी कटाई तिल ( Gingelly) के बीज को पतला और बारीक रखकर उनकी उपज कम कर देती है. उपज आम तौर पर प्रति हेक्टेयर 6 से 7 क्विंटल होती है.
SPLEEN FARMING 2024 कितना उर्वरक लगेगा
खेती से पहले 5 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर या एक टन (4 क्विंटल प्रति एकड़) अरंडी या नीम का पाउडर बुवाई से पहले देना चाहिए. 25 किग्रा एन/हेक्टेयर बुवाई के समय तथा 25 किग्रा एन/हेक्टेयर बुवाई के तीन सप्ताह बाद डालें. मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर बुवाई के समय 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर डालें. उपरोक्तानुसार तिल की काष्त करने पर लगभग 5 क्व./ हे उपज प्राप्त होती है। जिसपर लागत -व्यय रु 16500/ हे के मान से आता है। सकल आर्थिक आय रु 30000 आती है। शुद्व आय रु 13500/ हे के मान से प्राप्त हो कर लाभ आय-व्यय अनुपात 1.82 मिलता है।
SPLEEN FARMING 2024 कैसे होगा अधिक उत्पादन
कीट एवं रोग रोधी उन्नत किस्मों के नामें टीके.जी. 308,टीके.जी. 306, जे.टी-11, जे.टी-12, जे.टी.एस.-8 ऽ बीजोपचार-बीज को 2 ग्राम थायरम$1 ग्रा. कार्बेन्डाजिम 2:1 में मिलाकर 3 ग्राम/कि.ग्रा.द्ध नामक फफूंदनाशी के मिश्रण से बीजोपचार करें। बोनी कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. तथा कतारों में पौधों से पौधों की दूरी 10 से.मी. रखते हुये 3 से.मी. की गहराई पर करे ।
अन्तवर्तीय फसल तिल$उड़द/मूंग 2:2, 3:3द्ध तिल$ सोयाबीन 2:1, 2:2 द्ध को अपनायें। तिल की फसल खेत में जलभराव के प्रति संवेदनषील होती है। अतः खेत में उचित जल निकास की व्यवस्था सुनिश्चित करें।खरीफ मौसम में लम्बे समय तक सूखा पड़ने एवं अवर्षा की स्थिति में सिंचाई के साधन होने पर सुरक्षात्मक सिंचाई अवष्य करे।
फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये सिंचाई हेतु क्रान्तिक अवस्थाओं यथा फूल आते समय एवं फल्लियों में दाना भरने के समय सिंचाई करे। बोनी के 15-20 दिन पश्चात् पहली निंदाई करें तथा इसी समय आवश्यकता से अधिक पौधों को निकालना चाहिये । निंदा की तीव्रता को देखते हुये दूसरी निंदाई आवश्यकता होने पर बोनी के 30-35 दिन बाद नत्रजनयुक्त उर्वरकों का खडी फसल में छिडकाव करने के पूर्व करना चाहिये ।